– डा रावत जब क्षेत्र में होते हैं तो बुजुर्ग लोग हमेशा से ही उनकी उच्च प्राथमिकता में रहते हैं
– क्षेत्र में किसी पर भी संकट आए हौसला देने के लिए धनदा हर हाल में पहुंचते हैं
राठः आखिरी छोर पर खड़ी जनता वह है जो अपने ही समाज से उपेक्षित है। और असली लीडर वही होते हैं जो दिनों दिन कमजोर होती उस पांत को मुख्य धारा में सम्मिलित करने के लिए प्रयास रहते हैं। और सच कहें तो जनता का असली नेता भी वही होता है। यही गुण है जो विरोधियों की तमाम चालों के बाद भी राठ के लाल डा धन सिंह रावत को हर बार विजेता बनाते हैं।
डा रावत की विधान सभा श्रीनगर का अधिकांश क्षेत्र पहाड़ी ग्रामीण है। राठ क्षेत्र भी यहीं पड़ता है। यहां के ग्रामीण इलाके अपनी सादगी और मेहनती जज्बे के लिए जाने जाते हैं। यहां लोग शहरों की तरह चालाक व मौका परस्त भले ही नहीं होते। सहृदयता यहां की फिजाओं में है। यहां एक दूसरे के प्रति लगाव है, जो अपनेपन से आएगा वह अपना हो जाएगा, लेकिन जिसने किसी तरह की चालाकी, स्वार्थीपन या घमंड दिखाने की कोशिश की उसके लिए यहां के दरवाजे बंद ही मिलते हैं।
इस में कहीं कोई दो राय नहीं हैं कि श्रीनगर क्षेत्र के लोगों को हर किसी के प्रति मानवीय दृष्ठिकोण रखने वाले डा धन सिंह रावत के रूप में एक ऐसा नेता मिला है, जिसे वह पूरे मनोयोग से स्वीकार करते हैं। डा रावत जब क्षेत्र में होते हैं तो बुजुर्ग लोग हमेशा से ही उनकी उच्च प्राथमिकता में रहते हैं। उनसे वह इस तरह बात करते हैं कि मानो वर्षों से शांत किसी झील के पानी में किसी बच्चे ने कंकड़ उछाल दिया हो। ओर जिंदगी में उमंगों की लहरें फिर से उठने लगी हों। उस बातचीत में उम्र के साथ बढ़ रही बुजुर्ग लोगों की निराशा यकायक आशा में बदल जाती है
ठेठ राठी पहाड़ी लहजे में बुजुर्ग लोगों से बतियाते हुए धन दा किसी से तबीयत पूछते हैं, तो किसी के घर परिवार, बाल बच्चे, नाती नतेणा, चाचा, बोडा आदि के बारे में कुशल क्षेम लेते हैं। कई दिनों से भावशून्य हुए इन बुजुर्ग चेहरों पर तब जो चित्र उभरते हैं वह धनदा पर शुभाषीश की बरसात करते नजर आते हैं। धनदा ही एक ऐसे नेता है जिनके पास गांव के बुजुर्ग लोग अपना दर्द बगैर किसी संकोच के खुलकर बताते हैं। यहां दुलार और उम्मीदों का गजब समावेश देखने को मिलता है। इस तरह के नजारे हर बार के भ्रमण में उनकी संवेदनशीलता का बहुत ही संजीदगी से बखान करते हैं।
क्षेत्र में किसी पर संकट आए हौसला देने के लिए धनदा सबसे पहले पहुंचते हैं। हर संभव मदद का प्रयास करते हैं। बुरे वक्त में कराहते लोगों को गले लगाकर हौसला देना प्राण देने से कम नहीं होता। जो धनदा की स्वभाव में है।
यही स्वभाव धनदा की ताकत है जो उन्हें हर मोर्चे पर विजयी दिलाती है।