बच्चों को बेहतर शिक्षा देना हमारा उदेश्य होना चाहिए- मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने शुक्रवार को मल्लिकार्जुन स्कूल लोहाघाट का दीप प्रज्वलित कर लोकार्पण करते हुए कहा कि शहर के बच्चे को बेहतर शिक्षा देना हमारा उदेश्य होना चाहिए उन्होने कहा कि यह विद्यालय स्व. मल्लिकार्जुन जोशी जी द्वारा इस क्षेत्र में बच्चों को उत्कृष्ट एवं गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए जो परिकल्पना की गई थी उस परिकल्पना को साकार करने की दिशा की प्रयासरत है। उन्होंने कहा की विद्यालय कि प्रयोगशाला में बच्चों ने बहुत ही शानदार प्रयोग का प्रदर्शन किया है इसके लिये उन्होने बच्चों के उज्जवल भविष्य की कामना की।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मल्लिकार्जुन विद्यालय के बच्चे हमारा भविष्य हैं। इनमें से कोई डॉक्टर, इंजीनियर, वैज्ञानिक, पत्रकार, प्रशासनिक सेवा में जाएगा। उन्होंने कहा कि जिन क्षेत्रों में भी वे जाएंगे उन क्षेत्रों को नेतृत्व देने का काम करेंगे। उन्होंने कहा कि हमारी प्राथमिक शिक्षा माता-पिता से प्रारंभ होती है उसके बाद बच्चों को शिक्षा, संस्कार, व्यक्तित्व का विकास विद्यालय द्वारा किया जाता है। शिक्षण संस्थान बच्चों के व्यक्तित्व निर्माण की दिशा में बहुत बड़ा योगदान दे रहे हैं। शिक्षा व्यवस्था किसी भी समाज के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण आधार स्तंभ है। बच्चों को शिक्षा प्रदान करने के साथ-साथ उनके संपूर्ण व्यक्तित्व का विकास करना भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज जिस नए विद्यालय का लोकार्पण हुआ है उम्मीद है कि शिक्षा के क्षेत्र में और तेज गति से हमारे छात्र-छात्राओं को रोजगार परक शिक्षा देकर एवं प्रतियोगी परीक्षाओं में भी उनको सफलता प्राप्त करने में सहायता करेंगे। उन्होंने नई शिक्षा नीति का जिक्र करते हुए कहा कि नई शिक्षा नीति आने से शिक्षा के क्षेत्र में प्रोत्साहन मिलना प्रारंभ हुआ है जिससे बच्चों और युवाओं में निश्चित रूप से एक वैज्ञानिक सोच का भी विकास होगा। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड देश का पहला ऐसा राज्य है जिसने स्कूली शिक्षा में नई शिक्षा नीति को लागू किया है। उन्होने कहा कि 11वीं शताब्दी तक हमारी प्राचीन भारतीय शिक्षा का जो गौरव था वह अपने चरम पर था जब दुनिया के लोग शिक्षा व्यवस्था के बारे में नहीं जानते थे तब हमारे देश ने पूरे विश्व को ज्ञान विज्ञान की शिक्षा देने का काम किया। उस समय हमारे देश में नालंदा व तक्षशिला और विक्रमशिला जैसे प्रसिद्ध विश्वविद्यालय के रूप में शिक्षा के केन्द्र थे।