द्यूसा और तिमली गांव को मॉडल गांव के रूप में विकसित किया जाएगा: सीडीओ
जिलाधिकारी गढ़वाल के दिशा- निर्देशन पर मुख्य विकास अधिकारी गिरीश गुणवंत ने विकासखण्ड द्वारीखाल के द्यूसा और तिमली गांव का भ्रमण किया गया। उन्होंने इन गांवों में विभिन्न विभागों द्वारा किये जा रहे कार्यों का स्थलीय निरीक्षण कर ग्रामीणों की समस्याओं को सुना।
मुख्य विकास अधिकारी ने गांव में मनेरगा के माध्यम से बंजर भूमि में कैमामॉइल तथा लेमन ग्रास उत्पादन कार्य को देखा गया। उन्होंने लेमनग्रास के उत्पादन को बढ़ाने के लिए और बंजर भूमि पर इस वर्ष पौधरोपण के निर्देश दिये। खण्ड विकास अधिकारी ने बताया गया कि इस गांव में लगभग 20 नाली भूमि में ग्रामीणों द्वारा लेमनग्रास उत्पादन का कार्य किया जा रहा है और गांव में लेमनग्रास से तेल निकालने की मशीन भी उपलब्ध कराई गई है। जिससे किसानों द्वारा लेमनग्रास तेल निकालकर उसे एक हजार तीन सौ प्रति कलो की दर से विक्रय किया जा रहा है।
मुख्य विकास अधिकारी ने उसके बाद गांव में किसानों द्वारा सामुहिक रूप से की जा रही बेमौसमी सब्जी उत्पादन क्षेत्र का भ्रमण भी किया। उन्होंने किसानों से सब्जी उत्पादन को बढ़ाने को कहा और किसानों की मांग के अनुसार उद्यान व कृषि विभाग को किसानों को पॉलीहाउस, उन्नत किस्त के बीज और जियो लाइन सिचाई टैंक उपलब्ध कराने के निर्देश दिये। इसके साथ ही सब्जी उत्पादन प्रक्षेत्र की फैसिंग हेतु कृषि विभाग को प्रस्ताव तैयार करने को कहा।
तत्पश्चात मुख्य विकास अधिकारी ने पंचायत भवन द्यूसा में ग्रामीणों और समस्त रेखीय विभागों के अधिकारियों के साथ बैठक की। जिसमें बिजली, पानी, सिंचाई, पेंशन, मनरेगा, पशुपालन, उद्यान, कृषि, रीप, एन. आर.एल एम सहित सभी योजनाओं से गांव में किये गये कार्यों व उनसे संबंधित ग्रामीणों की समस्याओं को सुना। उन्होंने संबंधित विभागों के अधिकारियों को कहा कि ग्रामीणों द्वारा जो समस्याएं रखी गई हैं उनका निराकरण करना सुनिश्चित करें। मुख्य विकास अधिकारी द्वारा गांव में ग्रामीणों द्वारा किये जा रहे विभिन्न कार्यों व प्रयासों को देखते हुए सभी विभागों को इस गांव में इन्टीग्रेटेड अप्रोच में कार्य कर गांव को मॉडल विलेज के रूप में विकसित करने पर चर्चा की गई। साथ ही उन्होंने गांव में डेयरी, मुर्गी पालन, सगन्ध पौध उत्पादन, बेमौसमी सब्जी उत्पादन, खाद्य एवं फल प्रसंस्करण तथा सोलर प्रोजेक्ट आदि पर चर्चा कर विभागों को कार्ययोजना तैयार करने के निर्देश दिये।
उसके बाद मुख्य विकास अधिकारी ने ग्राम तिमली का भ्रमण किया। जहां पर गांव के युवा व कोविडकाल में वापस आये रिटर्नी माइग्रेंट आशीष डबराल के साथ मिलकर किसान उत्पादक संगठन बनाकर 1982 में स्थापित तिमली संस्कृत विद्यापीठ को पुर्नजीवित करने के साथ ही गांव में योगा, वेलनेस सेंटर मेडिटेशन, नेचुरल फार्मिंग, सामूहिक सब्जी उत्पादन, कीवी उत्पादन, पुष्प उत्पादन तथा सगन्ध पौध उत्पादन का कार्य किया जा रहा है। तिमली गांव में मुख्य विकास अधिकारी ने ग्रामीणों द्वारा किये जा रहे प्रयासों की सराहना करते हुए ग्राम सभा तिमली को मॉडल गांव के रूप में विकसित करने के लिए इसके अन्य राजस्व गांवों डमरा, गौबाड़ी, कण्डवाण, बाड्यू तथा कलथर को भी इन गतिविधियों से जोड़ने की कार्ययोजना पर ग्रामीणों तथा अधिकारियों से चर्चा की गई। जिसमें ग्रामीणों द्वारा खेती को जंगली जानवरों से बचाने के लिए फैंसिग, पॉलीहाउस, सिंचाई टैंक आदि की मांग की गई। इसके साथ तिमली को मॉडल गांव के रूप में विकसित करने के लिए ग्रामीणों के साथ बेमौसमी सब्जी उत्पादन, सगन्ध पौध उत्पादन, होम स्टे, सोलर प्रोजेक्ट, बीज उत्पादन, फलोत्पादन आदि प्रोजेक्ट पर चर्चा कर प्लालिंग की गई। उन्होंने विभिन्न विभागों को 15 दिन के अन्तर्गत कार्ययोजना तैयार कर प्रस्तुत करने के निर्देश दिये हैं।