– तमाम प्रयासों के बाद भी गीता इन्कलेव में जलभराव की समस्या से नहीं मिली निजात
ः नाले पर हुए अतिक्रमण को हटाने के नाम हुई सिर्फ खानापूर्ति
देहरादूनः मानसून फिर से लौटने को है, और इसी के साथ आपदा के लिहाज से संवेदनशील बना हुआ गीता इनक्लेव के वासिंदों की चिंता भी फिर से बढ़ने लगी है। यहां लोग लंबे समय से जल भराव की समस्या के चलते बरसात के सीजन में जान का खतरा उठाते हैं। अनदेखी का आलम यह है कि इस खतरे को कम करने के यथोचित कदम अभी तक नहीं उठे। सरकार से लेकर शासन व निगम तक लगी फरियादें ठंडे बस्ते में हैं।
बता दें कि राजधानी देहरादून के गीता इनक्लेव में बरसात के सीजन में सड़कें तालाब हो जाती हैं, आवाजाही ठप हो जाती है। जलभराव के करण करंट का खतरा अलग से बना रहता है।
समाधान के लिए की गई जन शिकायतें हमेशा ही नक्कारखाने की तूती हो कर रह जाती हैं। यहां के वासिंदों के लिए अब ना तो मुख्यमंत्री हैल्प लाइन 1905 के मायने शेष बचे हैं और ना ही जिला प्रशासन या निगम प्रशासन की परिक्रमा के।
यहां लोगों का सीधे तौर पर कहना है कि पिछले साल हुए प्रयासों से गीता एनक्लेव, टाइटन रोड, मोहब्बेवाला, वार्ड न. 91, में हुए अतिक्रमण को हटाने की तो औपचारिकता की गई, लेकिन नाले में निकासी कोई व्यवस्था नहीं की। और अतिक्रमण कारियों ने फिर से नाले नाले पर अतिक्रमण कर दिया है। जबकि जमीन के नख्से खसरों में यहां 9 फ़ीट चौड़ा एवं 55 फ़ीट लम्बा नाला 12 फ़ीट चौड़ा 39 फिट लम्बा रास्ता दर्ज है।
समस्या के निदान हेतु मनु सिंह, अशोक रावत, पंकज सिंह खन्ना, गीता रतूड़ी, मनीष कुमार, दीप्ति चौहान, दीपिका उनियाल, हीरा सिंह, एसपी सेमवाल, गजेंद्र सिंह नयाल, उषा डोभाल, ममता गुलेरिया, कमलजीत सिंह, अरुणा सेमवाल, दुर्गा देवी, किरन देवी, जगदीश रौथाण आदि लोगों ने प्रयास तो बहुत किए, लेकिन समस्या का समाधान नहीं हो पाया। आपदा सीजन के हालातों से यहां लोग फिर घबराए हुए हैं।
समय रहते निगम प्रशासन ने यहां निकासी के लिए नाले को नहीं खोला तो यही समझा जाएगा कि सरकार व उसकी मशीनरी किसी हादसे के इंतजार में है।