🌞🌹 *~ हिन्दू पंचांग ~* 🌹🌞
🌤️ *दिनांक – 03 सितम्बर 2023*
🌤️ *दिन – रविवार*
🌤️ *विक्रम संवत – 2080 (गुजरात – 2079)*
🌤️ *शक संवत -1945*
🌤️ *अयन – दक्षिणायन*
🌤️ *ऋतु – शरद ॠतु*
🌤️ *अमांत – 18 गते श्रावण मास प्रविष्टि*
🌤️ *राष्ट्रीय तिथि – 12 श्रावण मास*
🌤️ *मास – भाद्रपद (गुजरात एवं महाराष्ट्र अनुसार श्रावण)*
🌤️ *पक्ष – कृष्ण*
🌤️ *तिथि – चतुर्थी शाम 06:24 तक तत्पश्चात पंचमी*
🌤️ *नक्षत्र – रेवती सुबह 10:38 तक तत्पश्चात अश्विनी*
🌤️ *योग – वृद्धि 04 सितम्बर रात्रि 03:12 तक तत्पश्चात ध्रुव*
🌤️ *राहुकाल – शाम 04:59 से शाम 06:34 तक*
🌞 *सूर्योदय-05:55*
🌤️ *सूर्यास्त- 18:38*
👉 *दिशाशूल- पश्चिम दिशा में*
🚩 *व्रत पर्व विवरण – संकष्ट चतुर्थी (चन्द्रोदय :रात्रि 09:22 ) ,बहुला चतुर्थी (बहुला चौथ) (म• प्र•)*
💥 *विशेष- *चतुर्थी को मूली खाने से धन का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*💥 रविवार के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)*
💥 *रविवार के दिन मसूर की दाल, अदरक और लाल रंग का साग नहीं खाना चाहिए।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्ण खंडः 75.90)*
💥 *रविवार के दिन काँसे के पात्र में भोजन नहीं करना चाहिए।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्ण खंडः 75)*
💥 *स्कंद पुराण के अनुसार रविवार के दिन बिल्ववृक्ष का पूजन करना चाहिए। इससे ब्रह्महत्या आदि महापाप भी नष्ट हो जात 🌞~*वैदिक पंचांग* ~🌞
🌷 *जन्माष्टमी* 🌷
➡ *06 सितम्बर 2023 बुधवार को जन्माष्टमी (स्मार्त), 07 अगस्त 2023 गुरुवार को जन्माष्टमी (भागवत)*
🙏🏻 *भारतवर्ष में रहनेवाला जो प्राणी श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का व्रत करता है, वह सौ जन्मों के पापों से मुक्त हो जाता है | – ब्रह्मवैवर्त पुराण*
🌞 *~ वैदिक पंचांग ~* 🌞
🌷 *गर्भवती देवी के लिये–जन्माष्टमी व्रत* 🌷
👩🏻 *जो गर्भवती देवी जन्माष्टमी का व्रत करती हैं….. उसका गर्भ ठीक से पेट में रह सकता है और ठीक समय जन्म होता है….. ऐसा भविष्यपुराण में लिखा है |*
🌞 *~ वैदिक पंचांग ~* 🌞
🌷 *हजार एकादशी का फल देनेवाला व्रत* 🌷
🙏 *जन्माष्टमी के दिन किया हुआ जप अनंत गुना फल देता है । उसमें भी जन्माष्टमी की पूरी रात, जागरण करके जप-ध्यान का विशेष महत्व है ।*
🙏 *भविष्य पुराण में लिखा है कि जन्माष्टमी का व्रत अकाल मृत्यु नहीं होने देता है । जो जन्माष्टमी का व्रत करते हैं, उनके घर में गर्भपात नहीं होता ।*
🙏 *एकादशी का व्रत हजारों – लाखों पाप नष्ट करनेवाला अदभुत ईश्वरीय वरदान है लेकिन एक जन्माष्टमी का व्रत हजार एकादशी व्रत रखने के पुण्य की बराबरी का है ।*
🙏 *एकादशी के दिन जो संयम होता है उससे ज्यादा संयम जन्माष्टमी को होना चाहिए ।*
*बाजारु वस्तु तो वैसे भी साधक के लिए विष है लेकिन जन्माष्टमी के दिन तो चटोरापन, चाय, नाश्ता या इधर – उधर का कचरा अपने मुख में न डालें ।*
🙏 *इस दिन तो उपवास का आत्मिक अमृत पान करें ।अन्न, जल, तो रोज खाते – पीते रहते हैं, अब परमात्मा का रस ही पियें । अपने अहं को खाकर समाप्त कर दें।*
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